श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
मानवाधिकार आज/ दिल्ली/ 26 अगस्त:
श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में जन्माष्टमी मनाया जाता है। इस दिन व्रत, पूजा-अर्चना, झांकी सजाना, रासलीला और दही हांडी जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता है। जन्माष्टमी पर भक्तजन भगवान कृष्ण की लीलाओं और आदर्शों को स्मरण करते हैं।
जन्माष्टमी, भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन की खुशी में मनाया जाने वाला एक बड़ा हिंदू त्योहार है। यह त्योहार भाद्रपद के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए बहुत खास होता है। इसी दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
श्री कृष्ण का नाम जन्म मथुरा में हुआ था। उनके माता-पिता देवकी और वासुदेव थे। मथुरा, भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण जगह रखता है। जन्माष्टमी पर लोग पूजा-पाठ करते हैं और कृष्ण जी की बचपन की कहानियां सुनते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सभी के घरों में भगवान कृष्ण की सुंदर मूर्तियां सजाई जाती हैं। बच्चे कृष्ण और राधा बनते हैं। धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। वृंदावन और मथुरा में तो बहुत ही धूम-धाम से यह त्योहार मनाया जाता है।
जन्माष्टमी की रात को जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय खास पूजा और आरती होती है। भजन-कीर्तन होते हैं। भक्त लोग उपवास रखते हैं और रात भर जागते हैं। मंदिरों में रासलीला, झूला और दूसरे धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।
जन्माष्टमी पर गोवर्धन पूजा और दही हांडी जैसे रस्मों का भी आयोजन किया जाता है। दही हांडी में, एक बड़े बर्तन में दही भरी जाती है और उसे ऊपर लटका दिया जाता है। फिर लोग मिलकर उस बर्तन को तोड़ने की कोशिश करते हैं। यह भगवान कृष्ण के बचपन की ‘दही हांडी’ लीला की याद दिलाता है।
इस तरह, जन्माष्टमी सिर्फ श्री कृष्ण जी के जन्म का त्योहार नहीं है। यह भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। यह त्योहार हमें भगवान कृष्ण के जीवन और उनके उपदेशों की याद दिलाता है। यह हमें भक्ति, प्रेम और धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है।